जलपरी का आतंक | Hindi short story

जलपरी का आतंक (Hindi short story):

ये कहानी (Mermaid Hindi short story) मानव समाज के जीवों पर पडने वाले बुरे प्रभाव को दर्शाती है | समुद्र की गहराइयों में एक बहुत ख़ूबसूरत जगह थी | जहाँ बहुत से पानी के जीव जन्तु रहते थे और उन्हीं के बीच में एक प्यारी सी जल परी रहती थी | वह सभी जीवों के लिए रक्षक का काम करती थी | ये सभी इस प्यारी सी दुनिया में ख़ुशी से रहते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था, कि एक दिन इस ख़ूबसूरत जन्नत को, जलपरी का आतंक तबाह कर देगा | उन्हीं के बीच में एक कछुआ भी रहता था, जो बहुत समझदार था | एक बार वह समुद्री सतह से ऊपर सैर करने निकलता है और उसे एक बहुत बड़ा पानी का जहाज़ आता दिखाई देता है |

जलपरी का आतंक
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उसे देखकर वह जल्दी से समुद्र की सतह के अंदर चला जाता है और जैसे ही जहाज़ वहाँ से गुज़र जाता है | वह ऊपर की ओर फिर से जाकर देखता है | उसे पानी से अजीब सी गंध का एहसास होता है और वह समुद्री सतह में वापस लौट जाता है | जाते ही, वह जल परी से कहता है हमारे क्षेत्र का पानी प्रदूषित हो रहा है | जिसकी वजह से जीव जन्तु आने वाले समय में साँस तक नहीं ले पाएंगे | आपको कुछ करना ही होगा | समुद्री यातायात बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है और इन इंसानों को हमारी कोई चिंता नहीं है | ये बेख़ौफ़ होकर अपने व्यापारिक फ़ायदे के लिए हमारे पानी को प्रदूषित कर रहे हैं | कछुए की बात सुनकर जलपरी घबरा जाती है, क्योंकि वह कभी इंसानों के संपर्क में नहीं आयी और न ही आना चाहती थी | लेकिन मजबूरी बस उन्हें रोकने के लिए कुछ न कुछ करना ही होगा, नहीं तो इस ख़ूबसूरत दुनिया को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पाएगा | तभी जलपरी बंदरगाह जाती है, वहां बहुत बड़े बड़े जहाज़ यातायात के लिए तैयार होते हैं | दरअसल जलपरी देखना चाहती थी, कि यदि हम सब समुद्री जीव मिलकर कोशिश करे, तो क्या इन्हें यहाँ से हटाया जा सकता है ? लेकिन जहाज़ों की विशालता को देखकर वह समझ जाती है, कि यह काम इनके बस की बात नहीं | इसके लिए इन्हें किसी और की मदद लेनी होगी | जलपरी वापस समुद्री सतह चली जाती है और वहाँ जाकर कछुए से कहती है, “तुम सभी जीव जंतुओं को यहाँ बुलाओ | हमें सभी को वहाँ जाने से सतर्क करना होगा, क्योंकि पानी प्रदूषित हो रहा है और यह मैंने भी महसूस किया” और कछुआ अपनी ग्रन्थिरस तरंगों के माध्यम से सभी जीवों को आमंत्रित कर देता है | जलपरी सभी के साथ मिलकर योजना बनाती है, कि हमें किसी जीव वैज्ञानिक से मिलना होगा, क्योंकि सारी दुनिया में केवल वही हम जीवों का महत्व समझ सकते हैं और योजना के अनुसार सबसे पहले कछुऐ को यह काम दिया जाता है, क्योंकि वह पानी के साथ साथ ज़मीन में भी साँस लेने में सक्षम था | हालाँकि जलपरी भी पानी के बाहर जा सकती थी, लेकिन उसकी समय सीमा तय थी | तभी कछुआ समुद्र के किनारे बने एक रिसर्च सेंटर तक पहुँच जाता है और कई घंटों तक वहाँ नज़र जमाए बैठा रहता है | दरअसल वह देखना चाहता था, कि यदि कोई जीव वैज्ञानिक की गाड़ी दिखाई देगी, तो वह जल परी को सूचित करेगा चूँकि जलपरी कुछ समय के लिए ही पानी से बाहर निकल सकती है, तो वह बस उसी वक़्त, वैज्ञानिक से अपनी बात रख पाएगी | कई घंटे बीतने के बाद एक जीववैज्ञानिक कछुए को नज़र आता है | उसकी गाड़ी में एक्वेरियम होता है, जिसमें कई तरह की मछलियां होती है |

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और उसे देखते ही कछुआ जलपरी को संकेत भेज देता है और जलपरी पलक झपकते ही, यहाँ पहुँच जाती है | जलपरी पानी से बाहर आकर जीववैज्ञानिक को आवाज़ लगाती है और अचानक जैसे ही जीववैज्ञानिक की नज़र इस जलपरी पर पड़ती है, तो वह आश्चर्यचकित हो जाता है, क्योंकि कई सालों से वह जलपरियों की रिसर्च कर रहा होता है लेकिन उसे कभी जलपरी नज़र नहीं आयी थी | जलपरी उसे देखकर मित्रतापूर्ण बर्ताव करती है | लेकिन वह तो जीववैज्ञानिक है | उसे तो जल परी सिर्फ़ एक प्रोजेक्ट लग रही थी और जलपरी जीववैज्ञानिक को अपने पास इशारे से बुलाती है और वह भी धीरे धीरे चला आता है | लेकिन आते ही वह जल परी को निष्क्रिय करने के लिए एक इंजेक्शन लगा देता है | यह देखकर कछुआ डर जाता है और जल्दी से और पानी के अंदर चला जाता है और जाकर सभी को यह बात बताता है, कि उन इंसानों ने हमारी जल परी को धोखे से पकड़ लिया है और उसकी जान ख़तरे में है | सभी जीव, जलपरी के लिए चिंता में होते हैं और यहाँ दूसरी तरफ़ जीववैज्ञानिक जलपरी को अपने विज्ञान अनुसंधान केन्द्र ले जाता है |

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वहाँ कई दिनों तक उसके ऊपर कई तरीक़े के कैमिकल टेस्ट किए जाते हैं | जिसकी वजह से मछली के मानसिक स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है और वह अपनी पुरानी जीवों की दुनियाँ को भूल जाती है और उसे केवल वर्तमान का समय ही याद होता है | जलपरी की ऐसी हालत देखकर जीववैज्ञानिक उसे दोबारा समुद्री पानी में भेजने का विचार बनाते हैं, क्योंकि वह उस पर केवल रिसर्च करना चाहते थे, ना कि उसको मारना और वह पूरी सुरक्षा से उसे समुद्री पानी में लाकर छोड़ देते हैं, लेकिन अब जल परी बदल चुकी थी | उसके शरीर में हार्मोनल चेंज हो चुके थे और वह सब जीवों के लिए ख़तरा बन चुकी थी | समुद्र के अंदर जाते ही जलपरी ने आतंक मचा दिया | उसके शरीर के अंदर जितनी जलन होती वह उतने ही खौफ़नाक तरीक़े से सभी जीवों पर आक्रमण करती और देखते ही देखते कई पानी के जीवों को, जलपरी ने मौत के घाट उतार दिया |

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जल परी कुछ ही समय में उस जगह तक पहुँच गई, जहाँ वह पहले रहा करती थी और उस ख़ूबसूरत जगह को तहस नहस करने में लग गई | कछुआ यह सब छुपकर देख रहा था | उसे पता था, कि ज़रूर इंसानों ने जलपरी के साथ कुछ किया है, इसलिए वह ऐसा बर्ताव कर रही है | कछुऐ को समुद्री औषधियों का अच्छा ज्ञान होता है | तभी वह समुद्र की गहराइयों से ऐसी औषधि ढूँढ लाता है, जिसे समुद्री जीवों के लिए कारगर माना जाता था और जैसे ही जल परी उसकी तरफ़ बढ़ती है | वह चालाकी से वही समुद्री वनस्पति जलपरी के मुँह में प्रवेश करवा देता है, जिससे जलपरी के शरीर में प्राकृतिक बदलाव होने लगते हैं और वह दोबारा अपनी पुरानी स्थिति में वापस आने लगती है और जलपरी के आतंक के अंत के साथ यह कहानी भी समाप्त हो जाती है |

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